शादी

*विवाह की आवश्यक सामग्री : -

*शादी के दिन :=

  • १.बनडी की पीठी उतारना : - बिनायक केदिन जैसा ही पीठी और लखधन का कार्यक्रम होता है | इस दिन पीठी सिर से पांव की ओर तेल उतारते है | बनडी नहाने के बाद गौर पूजने तक मौन रखती है | माया के पास बैठकर मामाजी के घरके आए हुए कपड़े , मंगलसूत्र , चुडा , बिछुड़ी ,पायल मामी बनडी को पहनाती है |
  • २.गौर की पुजा : - १६ नागवेल के पान, १६ चुडिया, १६ मोती चुरके लड्डू(लापसी ), दूर्वा, १६ पैसा, १६ सुपारी, पुजा की थाली | गोर पूजन से पहले ससुराल से आयी हुई छीक, सावनसुत ,मोड आदि चीजे पहनाते है |
  • ३.सामेला(बरना) : - पुजा की थाली, तांबा की परात , दूध , नारियल, नैपकिन, बिंदराजा के कपड़े, हार,पुष्पगुच्छ , खोल का सामान ,रुपया | उसदिन बिंदराजा को नारायण स्वरूप समजते है | इसलिए उस दिन सास-ससुर जवाई के पांव का विशेष महत्व है | ब्याही मिलनी होती है |
  • ४. तोरण : - तोरण,कट्यार ,निबडाकी डाली,मिट्टी का कलश, पुजा की थाली, कांच, कंगवा, घोड़े की चुन्दडी ,छड, नेतो, दही, कुंकू, चावल ,मंगलिक, मोळी, मेहंदी, नथ, काजल, मेन, खाजा, बतासा, चोरंग , भीगी हुई चने की दाल सुपडे में(घोड़ी के लिए )| प्रथम घोड़ी पूजी जाती है | बादमे बिंदराजा को टिका लगाकर नथ, चुनरी,छड,नेतो, कलश बिंदराजा के ह्रदय को सात बार लगाते है |
  • ५. बाहर के फेरे : - फूल,पुजा की थाली | तोरण के बाद में बाहर के फेरे होते है |
  • ६. चवरी (फेरा ) : - ५ श्रीफल,गेंहू १ किलो, लाल वस्त्र, तांबे के दो कलश, गुड, चावल २ किलो, सफेद वस्त्र, ५१ सुपारी, कच्चा सूत ,हवन पुडा, ३१ बादाम, ३१ खारक, मुंग, धनिया, सुपडा, साल की लाई , कपूर,कपास, २५ पान, अगरबत्ती, शुद्ध घी १ किलो, कच्चा दूध, मोळी, छाना (गोबरी), पुजा की थाली,काली मिट्टी, गोबर, गोमूत्र, ४ मगद का लड्डू, मेहंदी, सिंदूर, हलदी गांठ ५-७ , ७ खाजा, पाटे ,खोबरे की बाटी ११, पत्तल, द्रोण , पंचामृत, काला तिल ,जव, बत्तासे, खडीशक्कर, लोंग, इलायची, पिपल,आम और बड की समिधा ,पीले चावल, रंगोली, लकड़ी का चाटू ,थांब, खुट्या, ५-७ ईट |
  • ७. पेरावनी : - चवरंग पर ब्याही को बिठाते है | उनकी खोल भरते है | उनके निर्देशानुसार पेरावनी बाटी जाती है |
  • ८. सीख देने की तयारी(थली पूजन) : - बनडी को सीख देने की साड़ी पहनाते है | दही-खाजे से मूह ओठाते है | बिंदराजा,बनडी को मोड बांधना,मेहंदी लगाना,थली पुजाना |
  • पुजा सामान : - हलदी,कुंकू,चावल,मेंदी,मोळी,पान,सुपारी,गुड,१ रुपया,मगध का लड्डू,पाणी का कलश,गोबर,दूर्वा |थली पूजन के पहले बिंदराजासे तनिपर नयी साड़ी डलवाते है | तनीकी डोरी खुलाते है | दरवाजे के बाहर गादी बिछाकर बिंदराजा ,बनडी से थली की पुजा कराते है | थली पूजन के बाद मगध का लड्डू बिंदराजा के हाथ स थली के अंदर गुडाना |

  • ९. बनडी के साथ देने का सामान : - बनडी की पेटी, दायजे के बर्तन, कोरा सुपडा,बेलन,चौरंग,खिचड़ी,शादीकी मिठाई का छाब, १०१ लड्डू, खाजा-मगध की छाब, बड़ी, पापड़,गोदी में चांदी के प्यालेमे मगध लड्डू और रुपया,पगा लागनी के रूपये, छाबा, डिब्बोपर कुंकू साठीया मांडते है |
  • १०.माया उठाना : - पंडितजी को बुलाकर माया उठाने की पुजा करे | माया के कलश उठाले,माँ-बाप ,सवासनी की राखी खोलते है | बिनायकजी को लापसी चावल का भोग लगाते है |
  • ११. लड़ बिदडी : - जब भाई पहले लेने जाता है, लाल कपडे की थैली सीकर शादी के २१ अगर ५१ लड्डू और मिठाई थैली में डालकर थैली और साड़ी बेटी के सासु को देते है |
  • *बेटे की शादी : -

  • १.बिंदराजा की तयारी : - नया ड्रेस, पेचा,तुरा,नये बूट, मोजे, गुलाबी रंग का कमरबंध उसमे लड्किवालोने भेजा हुआ छाटनेका कागज, नारियल,सव्वा रुपया बांधते है | दो मोड,हार,पुष्पगुच्छ | पीठी स्नान होने पर बिंदराजा को नये कपडे पहनाकर पेचेपर बिंद बिंदनी दोनोके मोड साथमें बांधना, हार पहनाना | और चोरंगपर खड़ा करके लख लेते है | पिताजी बिंदराजा को चोरंगपरसे उतारते है | उतारते वक्त खोबरे की बाटी पर दाहिना पाव रखकर उतारते है | माया के पास दिया लगाकर गणगोर पुजाते है |
  • २.घोड़ी पुजा : - सव्वा सेर भीगी चनाडाल, सुपडा,कुंकू,चावल, मेहंदी, मोळी, गुड, कंघी, नेता, घोड़ी को ओधानेके लिए लाल कपडा, ७ आटे के फल, कुवारी कन्या को ओधानेकी साड़ी, लाल रुमाल में राई-नमक देना | बनडा घोड़ीपर चढने के बाद देवी-देवता के कपडे ब्राम्हण,सवासनी को घर की रीत अनुसार देवे | बेटेकी माँ बिनायक का कलश लाती है | कलश सव्स्नी के हाथमें देती है | कोरे सुपडेमें भिगी चनेकी दाल डालकर घोडीके सामने रखते है | घोड़ी को मेंदी लगाना,मोळी बंधना,लाल कपडा ओढाते है | इसके बाद बिंदराजा को तिलक करना | नेता,छट,नथ,कसुमल बनडे पर ७-७ बार लगाते है | बनडे पर वारनी करके नाई को देते है | सब कार्यक्रम होनेपर बिंदराजा के पीछे घरकी किईभी कुवारी कन्या को बिठाते है | उसके हाथमें राई-नमक का लाल रुमाल देते है | वह थोड़ी-थोड़ी देर से बिंदराजा परसे वारती रहती है | जबतक औरते गीत गाती है | घोड़ी चलनेके पहले घरके सवासना घोड़ी की लगाम पकड़ते है |उनको लगाम पकडाई का नेग देते है | घोड़ी थोड़ीसी आगे बढने पर सवासनी जलका कलश उसमे ५ पान नारियल रखकर माथेपर लेकर बिंदराजाके दाहिने बाजुस सामने आती है |बिंदराजा कलश का नेग देता है |
  • ३.बरी : - बरी में १ बडा बेस, १ छोटा बेस, १ चुंदडी इतना जरूरी है | गहने,चांदी की पायल, चांदी की चार डब्बी, चांदी की अंगूठी(चपल्या), मेवा, चप्पल, मोड, सवागपिटारी , खोलका सामान, खाजा-मगध, सूखे नारियल के गोटे, साथमें फेरपाटेकी साड़ी, तनीपर रखने की साड़ी, ब्यायी के यहाँ बानदरवाल बांधने की भेजना, साले को पेरावनी के कपड़े नेग |
  • ४.सामे लेने की तयारी : - १ काई का कटोरा, ६ थालीयाँ, ७ सुपारी, ७ बदाम, ७ खारिक | दूल्हा-दुल्हन जिस द्वार से प्रवेश करेंगे उसकी दहलीज से अंदरकी तरफ ७ थाली मानडे | एक काई का कटोरा और ६ जगह थालिया रखे |हर थाली के निचे मांडने मांडना चाहिये | थाली में कुंकू चावल,आटेके फल, नथ | बेटे की माँ हाथमे कलश लेके बाहर आती है | माँ दोनों को टिका लगाकर आरती करती है | स्वागत के बाद बहु को घी गुड में हाथ डलवाती है |