जन्म

पुजा की सामग्री एवम् विधि


१. आँचल खुलाई :-  आँचल खुलाई शिशु जन्म की रात्री को तारा उदय के बाद करते है |
सामग्री :- कुमकुम ,कच्चा दूध ,चावल,दूर्वा,कंघी,रुपये.
विधी :- इस समय प्रसूता शिशु को गोद में लेकर पूर्व दिशा की और मूह करके बैठ जाये |फिर ससुराल या पीहर की कुवारी लड़की प्रसूता को सुखा कुमकुम एवम चावल देवे |जिससे वह स्वयम को टिका निकाल कर फिर शिशु को आडा टिका निकाल देवे |
फिर प्रसूता अपनी चोटी के अंतिम सिरे के बलों को कंघी में लगाकर साथ में दूर्वा रखकर तीनो को दूध में डुबोकर ४-४ बार दोनों आंचल मे लगावे और दोनों आंचल से १-१ बूंद दूध निकालकर धरती माता पर डाले | फिर आंचल को गीले कपडे से अच्छी तरह पोंछकर शिशु को दूध पिलावे |इस नेग का रुपया लड़की को देते है |

२.पांचवी या छट्टी की पुजा :- यह पुजा पांचवी या छठवी रात्री को करते है |
सामग्री :- कुमकुम,चावल,मोली,गुड,कागज,पेन,पाटा,अगरबत्ती ,रुपया,पैसा, छोटा दीपक ,बड़ा दीपक ,माचिस ,रुई घी,लाल कपडा,गेहूं १/४ किलो,जल का लोटा,आम की डाली,पुष्प,दूर्वा,पान.
विधी :- स्थापना : - पाटे पर लाल कपडा बिछावे | पाटे के बाये और थोड़े गेंहू रखकर उसपर जल के लोटे को मोली बांधकर रखे | फिर लोटे में आम की डाली एवम सवा रुपया डाले |
पाटे की दाहिनी और कागज पर कुमकुमसे स्वस्तिक निकाले और पेन को मोली बांधे | फिर इससे कागज पर भगवान के ५ या ११ नाम आपनी मान्यता अनुसार लिखकर कागज को पाटे पर दाहिनी ओर रखे |
विधी :-पहले दीपक जला देवे | यह दीपक रात भर अखंड रहता है | कुमकुम ,चावल,पुष्प से तीनो स्थानों पर पूजन करे | सर्व प्रथम कलश,दीपक,तत्पश्चात कागज व् कलम का |फिर अगरबत्ती जला देवे |

३.नहावन :- दसवे दिन या उसके बाद अच्छा दिन देखकर करते है |
सामग्री :- मेहंदी,अटाल,साबुन,शाम्पू,पीठी,नीम के पत्ते,अजवान ,गंगाजल,गौमूत्र,मुंग,धानी के लड्डू,सवा रुपया ,पहनने के कपडे,पुरानी चुडिया,काली ऊन.
विधी :- नहावन के एक दिन पहले :- प्रसूता के नखों में मेहंदी लगावे | उसी दिन संध्या को दो बाटली पानी में नीम के पत्ते एवम अजवान डालकर उसे उबाल कर रख लेवे |
नहावन वाले दिन :- नीम की डाली या आम की डाली से घर में तथा रिश्तेदारों के यहाँ बादरवाल बंधाये | घर में तनी बंधाये |पहले शिशु के लोई करके स्नान कराकर गंगाजल छिडक कर कपडे पहना देवे |
बादमे पिछले दिन उबले हुए नीम के पानी को नहाने जैसा गर्म करके छानकर तैयार करे | उसमे मुंग तथा सवा रुपया डाल देवे | प्रसूता को पीठी लगाकर सिर पर अटाल डाले शैम्पू से सिर धुलाकर शरीर में साबुन लगाकर इस पानी से स्नान करावे | कपडे व् चुडिया हटा देवे | बाद में शरीर पर गंगाजल छिडककर तथा गौमूत्र से तीन बार आचमन कराकर सादा गर्म पानी से नहला देवे | फिर वह दुसरे कपडे व् चुडिया पहन लेवे तथा धानी के लड्डू से मूह मीठा कर लेवे |फिर काली उन को बंटकर शिशु की कमर,हाथ की कलाई एवं पाव के पोचे में बांध देवे |घर में सभी राखियाँ बांधे | गीत गवाए |नारियल ,पेढे बांटे |पियर में शिशु का जन्म हो तो पगल्या ससुराल भेजते है |

४ जलवा : -यह पुजा ४० दिन बाद अच्छा मुहूर्त देखकर करते है |इस दिन प्रसूता व् शिशु के लिए नये कपडे ससुराल से आते है | जलवा के एक दिन पहले प्रसूता के दोनों हाथों एवं पांवों में मेहंदी लगाते है |
सामग्री : - कुमकुम ,मोली,मिश्री,गुड, इलायची ९ ,लवंग ९ ,चावल ,कच्चा दूध ,पुष्प,दूर्वा,पुष्पमाला,जल का लोटा,सुपारी,नारियल,आटे के फल ८,अगरबत्ती,माचिस,नई चूड़िया लाख की,मेहंदी,शिशु के कपडे,रुमाल,काली उन ,रुपया.
विधी : - कुआँ पुजा :-
सामग्री : - घुघरी(उबले हुवे गेंहू,भीगे हुवे चने),गुड ,शिशु का पोतडा |
प्रसूता हाथ में लोटा(जिसमें दूध एवं जल मिला हुआ हो )और कमर में शिशु का पोतडा लगाकर कुआ पूजने जाती है |कुए की मुंडेर का कुछ भाग साफ करके वहा स्वस्तिक निकालती है |फिर उस पर जल एवं दूध का छींटा देकर मोली चढ़ाती है |पश्चात कुमकुम,चावल,पुष्प से पुजा करती है |फिर घुघरी,नारियल,गुड आदि का भोग लगाकर जल विसर्जित करती है |एवं पान ,सुपारी,इलायची ,लवंग व् द्शिना भेट करती है | इसके बाद सुहागिनी मंगल आरती करके प्रसूता को माला पहनाती है |उसे नेग रुपया देते है | प्रसूता जब कुआँ पूजने को जाती है ,तब शिशु घर पर ही रहता है |उसके पास एक छोटे बच्चे को बैठा देते है |फिर उसे टिका निकालकर नारियल और रुपया देते है |अगर बच्चा इतनी देर न बैठ सके तो प्रसूता के आने तक शिशु के पास नारियल रख देते है |


कलश पुजा :- 
सामग्री : -
कलश,कलश के मूह पर रखने के लिये लोटा,सफेद कपडा जिसके चारो कोने के निकोने व् बीच में हलदी से रंगा हुआ |
कलश में जल भरकर उसके मूह पर जल से भरा लोटा रखते हे | पश्चात कल्श्व लोटे को मोली बांधकर कलश के चारो ओर कुमकुम के चार स्वस्तिक और लोटे पर एक स्वस्तिक मांडती है |तत्पश्चात प्रसूता कलश की पुजा कुआ पुजा में बताए हुए समान ही करती है |
जल पुजा होने के बाद : -शिशु को पीले के ओढने में सुलाकर चार बच्चे उसे झूला झुलाते है | चारों बच्चो को कुमकुम का टिका लगाते है | फिर भुवा या मौसी शिशु के कानमे धीरे नाम बोलते है | सबको पान,सुपारी,घुघरी बांटे | इसके बाद शिशु को गोद में लेकर दोनों को टिका निकालकर प्रसूता को मिश्री देते है | एवं प्रसूता की खोल मिश्री,आटे के ७ फल,इलायची,७ लवंग तथा रुपया से भरते है |तथा एक आटे का फल छन्नी में रखते है |फिर शिशु को मंगल करते है |झूला सजाकर बच्चे को झुलाये |तथा पलना गावे | इसके बाद प्रसूता व् शिशु मंदिर जाते है |